अशोकनगर । जीवाजी विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित की जा रही परीक्षाओं के चलते बीकॉम तृतीय वर्ष के आधार पाठ्यक्रम कम्प्यूटर की परीक्षा गुरुवार को आयोजित की गई थी। इस परीक्षा में शामिल होने के लिए पहुंचे परीक्षार्थियों को हिंदी माध्यम के स्थान पर उक्त विषय का अंग्रेजी माध्यम का प्रश्नपत्र सौंप दिया गया। जैसे ही यह प्रश्नपत्र परीक्षार्थियों को मिला वैसे ही उनके होंश उड गए। उन्हें समझ नहीं आया कि कैसे परीक्षा दें। तत्काल परीक्षार्थियों की शिकायत के बाद विश्वविद्यालय को अवगत कराया गया और अंग्रेजी माध्यम के प्रश्नपत्र को हिंदी में अनुवाद कर परीक्षार्थियों को सौंपा गया। इस अनुवाद के दौरान उन्हीं शब्दों का अर्थ बताया गया जिन शब्दों को समझाने की जरूरत थी।ऐसे में कई परीक्षार्थी उन शब्दों का आशय ही नहीं समझ पाए। इस तरह के प्रश्नपत्र के कारण परीक्षार्थी परेशान नजर आये। इसकी शिकायत जब परीक्षार्थियों ने केंधाध्यक्ष से की, लेकिन जब कोई सुनवाई नहीं हुई तब प्राचार्य डॉ. अशोक शर्मा को अवगत कराया गया। परीक्षार्थियों का कहना था कि यदि उन्होंने अभी परीक्षा नहीं दी तो उनकी मेहनत बेकार चली जाएगी। सुबह 9 बजे से 12 बजे तक की अवधि में होने वाले इस पेपर को लेकर महाविद्यालय प्रशासन के पास कोई विकल्प भी नहीं था। जिसके कारण अंग्रेजी माध्यम के पेपर को भी हिंदी में समझाने का प्रयास किया गया। इस दौरान प्रत्येक प्रश्नपत्र में जहां-जहां अंग्रेजी के कठिन शब्द थे उन्हें हिंदी में अनुवाद कर ठीक कराया गया। जिसके बाद परीक्षार्थी पेपर दे सके। इस दौरान परीक्षार्थियों का समय भी व्यर्थ चला गया। इस दौरान परीक्षा कक्ष में जब महाविद्यालय के ही छात्रों की ड्यूटी परीक्षा के दौरान लगाई गई तब विद्यार्थी परिषद की ओर से रोहित कौसल ने नाराजगी जताई जिसके कारण हंगामा खडा हो गया। इस दौरान उनकी प्राचार्य से भी कहा-सुनी हुई। जिसके बाद प्राचार्य द्वारा एफआईआर कराने का कहा गया। वहीं रौहित कौसल का कहना था कि नियम विरुद्घ ड्यूटी लगाई गई है।
भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन एनएसयूआई की ओर से भी महाविद्यालय के प्राचार्य को एक ज्ञापन सौंपा गया है। जिलाध्यक्ष सचिन त्यागी के नेतृत्व में सौंपे गए ज्ञापन में कहा गया है कि विश्वविद्यालय प्रबंधन के द्वारा जो प्रश्नपत्र में त्रुटि की गई है। प्रश्नपत्र दोनों माध्यमों में आना था। जिसके लिए छात्र-छात्राओं को उक्त विषय में उत्तीर्ण घोषित किया जाए और उक्त मामले की जांच की जाए।
इस संबंध में परीक्षार्थियों द्वारा बताया गया था कि उन्हें हिंदी माध्यम के स्थान पर अंग्रेजी माध्यम का प्रश्नपत्र प्रदान कर दिया गया है। हमने विश्वविद्यालय को अवगत कराया और जहां पर छात्रों की मदद हो सकती थी वहां तक मदद की। प्रश्नपत्र के कठिन शब्दों को हिंदी में अनुवाद कराया गया जिसके बाद यह परीक्षा संपन्न हो गई। छात्रों की जो शिकायत है वह सही है।
डॉ. अशोक शर्मा, प्राचार्य शासकीय नेहरू स्नातकोत्तर महाविद्यालय