भोपाल. बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से बुधवार (26 फरवरी) को लाए गए बाघ-बाघिन का वन विहार की डायरेक्टर कमालिका मोहंता ने सोमवार को नामकरण किया। चूंकि बाघ-बाघिन बांधवगढ़ से लाए गए हैं, इसलिए बाघ का नाम 'बंधन' और बाघिन का नाम 'बंदनी' रखा गया है। बाघों के इस जोड़े को उनकी मां ने छोड़ दिया था, बांधवगढ़ वन प्रबंधन ने कुछ दिन तक इन्हें अपनी निगरानी में रखा था। उन्हें उम्मीद थी कि बाघ-बाघिन की मां आएगी और उन्हें ले जाएगी, लेकिन वह नहीं आई। इसके बाद बाघों के इस जोड़े को वन विहार भेजने का निर्णय लिया गया।
बांधवगढ़ नेशनल पार्क से लाए गए बाघ और बाघिन को मिल गई है। ये दोनों अब 21 दिन तक 10 बाय 10 के कमरे में रखा गया है। दरअसल बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व की रंछा वाली बाघिन के वयस्क हो रहे दोनों शावक 26 फरवरी यानि बुधवार रात के 12 बजे वन विहार नेशनल पार्क भेज दिए गए। गुरुवार की सुबह इन्हें विशेष क्वारेंटाइन में प्रोटोकाल के तहत रखा गया है। इसके बाद इन्हें खुले बाड़े में छोड़ दिया जाएगा। वन विहार प्रबंधन ने अब इनका नामकारण अभी दोनों शावकों का नामकरण नहीं किया है।
दो दर्जन से ज्यादा नाम आए थे
डिप्टी डायरेक्टर एके जैन ने बताया कि कर्मचारियों ने बंधन, बंधनात, बरूनी, बलसिंगम, बंधुला जैसे दो दर्जन से अधिक नाम सुझाए थे, इनमें से पार्क की डायरेक्टर ने बंधन और बंदनी नाम चुना है। वन विहार पहुंचे बाघ और बाघिन को वन विहार भेजने के लिए आठ एक्सपर्ट की टीम गठित की गई थी। पहले इन्हें सतपुड़ा नेशनल पार्क में छोड़ने पर विचार किया गया था। लेकिन इंसानों के नजदीक रहने की आदी होने के कारण टीम ने इन्हें खुले जंगल में छोड़ना प्राणघातक बताया था। इसके बाद वाइल्ड लाइफ मुख्यालय ने इन्हें वन विहार में छोड़ने का आदेश जारी किया।
मां ने मरने के लिए छोड़ दिया था
बांधवगढ़ नेशनल पार्क के डायरेक्टर विंसेंट रहीम ने बताया कि नवंबर 2017 में गश्त के दौरान दोंनो शावकों को एक किले के पास लावारिश देखा गया था। दो दिन नजर रखने पर पता चला कि इनकी मां छोड़कर दूसरे मेल के साथ मेटिंग के लिए जा चुकी है। शारीरिक रूप से शावक बहुत ही कमजाेर थे इसलिए मां ने दोनों को त्याग दिया था। शावकों को मौत के मुंह से बचाने के लिए तत्कालीन प्रबंधन ने इन्हें बमेरा में रखने का निर्णय लिया। पहले दूध पिलाकर फिर मांस आदि परोसकर मां के लौटने का इंतजार हुआ। जब बाघिन नहीं लौटी तो एक वर्ष चार माह की उम्र में इन्हें बहेरहा स्थित बाड़े में शिफ्ट कर दिया गया।