अशोकनगर । जल संसाधन विभाग के कोंचा डेम से इन दिनों हजारों गैलन पानी पिकअप वियर से बहकर व्यर्थ जा रहा है। पूरे देश में पानी को लेकर मारा-मारी है। लोगों को पीने के लिए पानी नहीं मिल रहा है। दूसरी ओर पानी की बर्बादी हो रही है। कोंचा डेम की जो पिकअप वियर पानी को रोकने के लिए बनाई गई है वह खुद वेस्ट पानी के बहाव का काम कर रही है। 5-5 जगह से यह वियर फूटी है, लेकिन इस वेस्ट वियर को न तो ठीक कराने के कोई इंतजाम किए गए हैं न ही कोई मरम्मत का काम किया गया है। 9 वर्षों से विभाग के अधिकारी इस पिकअप वियर को लेकर ठीक कराने की बात करते आ रहे हैं, लेकिन आज तक उनके प्रयास नहीं हुए। कोंचा डेम का निर्माण 1973 में किया गया था। इस डेम के माध्यम से 4500 हेक्टेयर क्षेत्र में फसलों की सिंचाई की जाती है जिसमें 2500 हेक्टेयर क्षेत्र में अशोकनगर जिले के किसानों की फसलें सिंचित होती है जबकि 2000 हेक्टेयर क्षेत्र में पड़ोसी जिला विदिशा के किसान लाभान्वित होते हैं जबकि अशोकनगर जिले में पहले ही फसलों की सिंचाई के साधन न के बराबर हैं। ऐसी स्थिति में इस डेम का लाभ अशोकनगर जिले के कृषकों को पूरी तरह नहीं मिल पा रहा है। इस डेम से जो नहर 6 से 7 किमी लम्बी निकली है उस नहर की स्थिति भी अत्यंत खराब है। नहर जगह-जगह से फूट गई है जब भी खेती के लिए नहर को खोला जाता है तब जगह-जगह से नहर के फूटे होने से नहर में कम बर्बादी में अधिक चला जाता है।
कोंचा डेम में जो पिकअप वियर बनाई गई है। डेम से पानी छोड़े जाने के बाद जो पानी बचता है वह डेम से नीचे नहर होने के कारण पहले पिकअप वियर में आता है जहां पानी एकत्रित रहता है। इस पानी की जरूरत जब भी नहर के लिए होती है तब पानी छोड़ा जाता है, लेकिन पिकअप वियर में भरा हुआ पानी नहर बंद होने के बाद भी कई जगह दरारें होने की वजह से बहता रहता है। दरारें इतनी बढ़ी हैं कि कभी भी इस पिकअप वियर को खतरा पैदा हो सकता है। जिसमें हमेशा पानी रहता है। ऐसा लगता है कि जैसे फव्वारे चल रहे हो। डेम मूलतः खेती के लिए है, लेकिन अब ग्रीष्मकाल का मौसम आ चुका है। तालाब में जब पानी कम मात्रा में है उसके बावजूद भी पिकअप वियर से इस तरह पानी बह रहा है।
विभागीय अधिकारियों का कहना है कि यह बात सही है कि डेम में एक नहीं 5 जगह से लीकेज है। 8 साल पहले बुंदेला बंधुओं ने इसका ठेका भी लिया था, लेकिन वह बीच में ही छोड़कर चले गए। उसमें पिकअप वियर का काम भी शामिल था, लेकिन वह काम पूरा नहीं हो पाया। उसके बाद से अभी तक काम नहीं हुआ है। पहले यह वियर कम डैमेज थी अब डैमेज इतनी हो गई है कि बांध में पानी रूकता ही नहीं है। यदि इस पानी का उपयोग आसपास के अंचलों के लोगों को पीने के लिए उपलब्ध कराया जाए तो कई ग्रामों के लोगों की प्यास बुझ सकती है। लेकिन इस डेम के आसपास के बीलाखेड़ा और बीलाखेड़ी जैसे गांव पानी के संकट से गुजर रहे हैं। वहां के लोगों को इस डेम का पानी यदि नसीब हो तो उनकी प्यास बुझ सकती है। करीला मेले के दौरान जो व्हीआईपी मार्ग बनाया जाता है उस मार्ग पर यह पिकअप वियर दिखाई पड़ती है। जिलेभर के अधिकारी गुजरने के बाद भी इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। यह स्थिति 9 वर्षों से ऐसी ही पड़ी है।
क्या कहना है इनका
कोंचाडेम के इस पिकअप वियर को दुरुस्त करने के लिए शासन को एक प्रस्ताव बनाकर भी भेजा गया था, लेकिन शासन की ओर से इसकी मंजूरी नहीं मिली है। जिसके कारण यह पिकअप वियर आज भी उसी स्थिति में पड़ी है। इस पिकअप वियर को दुरूस्त कराने के प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन शासन की ओर से कोई मंजूरी नहीं मिल रही।
सुरेन्द्र सिंह रघुवंशी, एई जल संसाधन विभाग